Sunday, May 31, 2009

जिंदगी के अनजान कलर

जिस तरह इस जहाँ में

अम्बर सदा नीला होगा

उसी तरह तेरा दिया हुआ

हर ज़ख्म बार बार हरा होगा

मेरे जिस्म में बहने वाले खून की तरह

तेरी मांग में सिन्दूर लाल भरा होगा

मेरा नाम जब भी तेरे नाम के साथ लिया जाएगा

तेरा चेहरा लाल पीला होगा

मेरा दिल उजालों में ढूंढ़ना , क्योंकि

वोह जला है जाने कितनी बार उसका रंग कला ही होगा

मेरी दागे जिंदगी को जिससे तुम ढकोगे

उस कफ़न का रंग सफ़ेद होगा

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